रिक्तता मुझको निगल ले
इससे पहले उस दिशा में
प्रस्थान कर दो
व्योम सा व्यापक नहीं हूँ मैं
ना समुद्र सी गहराई मुझ में
मैं तो दीर्ध निश्वासों की कड़ी हूँ
मुझ में अविकल प्राण भर दो
यंत्राणा से मुक्त कर दो
अक्षरों की तिक्तता से जल उठा हूँ
छिन्न संकल्पों को समेटे
कब से खड़ा हूं
मौन का सम्मोहन
हर कोशिका मैं व्याप्त् है
तुम मन को स्पन्दन से भर दो
मुझको यंत्राणा से मुक्त कर दो
मैं तो दीर्ध निश्वासों की कड़ी हूँ
जवाब देंहटाएंमुझ में अविकल प्राण भर दो
वाह...लाजवाब रचना...अद्भुत शब्द संयोजन...नमन है आपको...
नीरज
मौन का सम्मोहन
जवाब देंहटाएंहर कोशिका मैं व्याप्त् है
लाजवाब है एक-एक शब्दो का चयन. बिम्ब अनुपम
अक्षरों की तिक्तता से जल उठा हूँ
जवाब देंहटाएंछिन्न संकल्पों को समेटे
कब से खड़ा हूं
मौन का सम्मोहन
हर कोशिका मैं व्याप्त् है
तुम मन को स्पन्दन से भर दो
मुझको यंत्राणा से मुक्त कर दो
अद्भुत !
achhe shabd-sanyojan ke saath
जवाब देंहटाएंbahut achhee rachnaa
badhaaee
---MUFLIS---
gudh sanchalan hai shabdon ka,bahut vyapak
जवाब देंहटाएंमुझको यंत्राणा से मुक्त कर दो
जवाब देंहटाएंbadi chhatpatahat hai
यत्रांणा से मुक्त कर दो
जवाब देंहटाएंरिक्तता मुझको निगल ले
इससे पहले उस दिशा में
प्रस्थान कर दो
बहुत ही सुंदर शब्दों का संयोजन है ....पर किस दिशा कि और इंगित कर रहे है विपिन जी ......?
Deepawali ki dheron shubkamnayen.
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंके बारे में महान पोस्ट "यत्रांणा से मुक्त कर दो"
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