हमीं से सीखा दोड़ना
हमें गिरा दिया
बहुत अच्छा किया
शुक्रिया
बंद नहीं होगी
फिर भी
ये पाठशाला
कभी कभी ऐसे
लोगों से भी
पड सकता है पाला
जीते तुम
जश्न मनाओ
याद कभी करना
किस से सीखी
वर्णमाला
google-site-verification: googlef57634a5cb6b508d.html
"Cogito, ergo sum"
अरसे के बाद आप की कृति पढने को मिली.
जवाब देंहटाएं"जीते तुम
जश्न मनाओ
याद कभी करना
किस से सीखी
वर्णमाला"
व्यर्थ समर्पण की सटीक कहानी.
क्या बात है गोयल जी उत्सुकता और है आगे पढ्ने की
जवाब देंहटाएंहर किसी को मुक्म्मल जहाँ नहीं मिलता
Vipin,
जवाब देंहटाएंYou have an interesting blog. It was nice to read some of your talented and creative poetry. Gladly following your blog. You may like to follow mine. Here's my popular video. http://dharbarkha.blogspot.com/2010/08/say-no-to-dowry.html
जीते तुम
जवाब देंहटाएंजश्न मनाओ
याद कभी करना
किस से सीखी
वर्णमाला......
bahot achche......
बहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंके बारे में महान पोस्ट "बहुत अच्छा किया..."
जवाब देंहटाएंGreat article, Thanks for your nice data, the content is quiet attention-grabbing. i'll be expecting your next post.
जवाब देंहटाएंWhat you are spoken communication is totally true. i do know that everyone should say a similar factor, however I simply assume that you simply place it in an exceedingly method that everybody will perceive. i am positive you may reach such a lot of folks with what you've to mention.
जवाब देंहटाएं