जो जैसा चल रहा था चलने देते
गलतफहमियों का दाय्ररा बढ्ने देते
तो ही अच्छा था ।
दिल को बहलाने का बहाना तो था
सतरंगे सपनों का खजाना तो था ।
कुछ कह कर हमने कुछ खो दिया
कितनी सादगी से तुमने दिल तोड दिया
उम्र भर भटकने को तन्हां छॉड दिया ।
-विपिन बिहारी गोयल
बहुत अच्छी लगी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएं