मुझे तुम्हारे घर के सामने लगे
बैगनी रंग के फूलों वाले पेड से
प्यार हो गया है
एक दिन मैं उधर से
गुजर रहा था
अचानक हवा का
तेज झोंका आया
और ढेर सारे बैंगनी फूल
मेरे कदमों मैं बिछ गये
कह कर तो सभी करते हैं
पर प्रणय का ऐसा मूक निवेदन
कहीं देखा है तुमने ।
-विपिन बिहारी गोयल
क्या बात है-बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंविपिन जी लाजवाब रचना...मेरी बधाई स्वीकार कीजिये...वाह.
जवाब देंहटाएंनीरज
LAJAWAAB LIKHA HAI.........KYA MOOK PRANAY NIVEDAN HAI....
जवाब देंहटाएंअच्छी भावनाएं...
जवाब देंहटाएंaapka swagat hai... isi tarah llikhte rahiye
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बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुक्ष्म अनुभुतियों को आपने सुंदर तरीके से इस रचना में पिरो दिया है. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंमुझे तुम्हारे घर के सामने लगे
जवाब देंहटाएंबैगनी रंग के फूलों वाले पेड से
प्यार हो गया है
अन्दाज़ बहुत ही बढ़िया है सर ।
tanhafalak.blogspot.com
पुरानी टिप्पणियो के फाण्ट सुधारें भई .. 10 अगस्त के बाद की कविताएं ही पढी जा पा रही हैं।
जवाब देंहटाएंsaral,sahaj aur sunder si aapki rachi hui bangni pholon ne man ko chu liya.
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