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शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

थके हुए पाँव

बालू रेत पर
थके हुए पाँव का
अक्स भी ऐसा ही उभरता है
थका हुआ ,बोझिल सा
एक समग्र और लक्ष्य भेदी जीवन का
यही तो परिणाम है
एक थकान
वरना बालू की रेत पर
हवा के झोंके से गुजर जाते
और लहरों से अठखेलिया करते

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने अपनी रचना मे

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  2. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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    INDIAN DEITIES

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  3. thanx.zindagi gaon hai ...acchi rachana ..aur aapki marham ki dukan bhi saj gai hai.

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  4. बस युहीं हौसला बढाते रहिये

    खुदा उम्र दराज करे दर्देदिल की
    मेरी दुकान में बरकत होती रहे

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