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बुधवार, 27 अप्रैल 2011

बहुत अच्छा किया...

हमीं  से सीखा दोड़ना
हमें गिरा दिया 
बहुत अच्छा किया 
शुक्रिया

बंद नहीं होगी 
फिर भी 
ये पाठशाला
कभी कभी ऐसे 
लोगों से भी
पड सकता है पाला

जीते तुम
जश्न मनाओ 
याद कभी करना
किस से सीखी
वर्णमाला


रविवार, 17 अप्रैल 2011

तेज़ धूप का सफ़र

छाँव का सुकून 
मर्ग मरीचिका बन 
छलता रहा 
तेज़  धूप का सफ़र 
चलता रहा 
इस तपिश में 
ये कौनसी कशिश है
क्या सोच कर ये फूल 
बंजर में खिलता रहा 
होंठ कांपे तो थे 
मुझे रोकने को मगर
मुंह से तुम्हारे 
अलविदा निकला