शनिवार, 29 अगस्त 2009
तुम मेरी क्या हो
बुधवार, 26 अगस्त 2009
भीत कपोत
मंगलवार, 25 अगस्त 2009
लौट के ना आ जाना
रविवार, 23 अगस्त 2009
जाने कैसे लोग
जलता है जब घर किसीका ,हँसते हैं
समझाते हैं ज़माने की ऊँच नीच हमको
ख़ुद अपनी नियत पर जो नकाब रखतें हैं
खुश हैं अगर आप तो क्यों खुश हैं
रचते हैं कोई साजिश दिल आपका दुखाते हैं
छिपके करते हैं वार,भाग जाते हैं
जुबाँ शेर की जिगर गीद्डों का रखते हैं
जाने कैसे लोग यंहाँ बसते हैं
जलता है जब घर किसीका हँसते हैं
शनिवार, 22 अगस्त 2009
यात्रा
सत से सत की ओर ,प्रकाश से प्रकाश की ओर ,
यात्रा -वैकल्पिक नहीं अनिवार्य
पुदगल कर्मबंधन अज्ञानजनित अनिवार्यता
कछुए की तरह मंजिल की तरफ़ या
हिरन की तरह माया के जल की तरफ़
दुर्गम -सुगम ,छांव -तपन ,मित्र -दुश्मन
समभावही है एकमात्र अवलंबन
एक अनहद नाद की अनुभूति को प्रस्तुत हो रहा हूँ
बस युहीं अपनी अपनी यात्रा पूरी कर रहा हूँ
बुधवार, 19 अगस्त 2009
जिंदगी जब ठहराव होती है
सोमवार, 17 अगस्त 2009
उफ़, ये क्या हो गया
शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
थके हुए पाँव
थके हुए पाँव का
अक्स भी ऐसा ही उभरता है
थका हुआ ,बोझिल सा
एक समग्र और लक्ष्य भेदी जीवन का
यही तो परिणाम है
एक थकान
वरना बालू की रेत पर
हवा के झोंके से गुजर जाते
और लहरों से अठखेलिया करते
गुरुवार, 13 अगस्त 2009
मन बंजारा
बुधवार, 12 अगस्त 2009
ज़िन्दगी गाँव है
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Peace and Love
मंगलवार, 11 अगस्त 2009
प्रणय का मूक निवेदन
मुझे तुम्हारे घर के सामने लगे
बैगनी रंग के फूलों वाले पेड से
प्यार हो गया है
एक दिन मैं उधर से
गुजर रहा था
अचानक हवा का
तेज झोंका आया
और ढेर सारे बैंगनी फूल
मेरे कदमों मैं बिछ गये
कह कर तो सभी करते हैं
पर प्रणय का ऐसा मूक निवेदन
कहीं देखा है तुमने ।
-विपिन बिहारी गोयल
सोमवार, 10 अगस्त 2009
जो जैसा चल रहा था चलने देते
जो जैसा चल रहा था चलने देते
गलतफहमियों का दाय्ररा बढ्ने देते
तो ही अच्छा था ।
दिल को बहलाने का बहाना तो था
सतरंगे सपनों का खजाना तो था ।
कुछ कह कर हमने कुछ खो दिया
कितनी सादगी से तुमने दिल तोड दिया
उम्र भर भटकने को तन्हां छॉड दिया ।
-विपिन बिहारी गोयल
मंगलवार, 4 अगस्त 2009
तेज धूप का सफर
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सर्वाधिकार सुरक्षित© लेखक-विपिन बिहारी गोयल
शनिवार, 1 अगस्त 2009
मन बंजारा
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सर्वाधिकार सुरक्षित© लेखक-विपिन बिहारी गोयल